महा शिवरात्रि कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है (Maha Shivratri Kab, Kyon Aur Kaise Manaya Jata Hai)

यह बात हम सभी जानते हैं कि महा शिवरात्रि भगवान शिव का दिन होता है, इस दिन लोग भगवान शिव की उपासना करते हैं, लेकिन क्या आपको यह बता है कि महा शिवरात्रि कब और क्यों मनाया जाता है, इसका क्या महत्व है। अगर नही जानते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि आज हम अपने पोस्ट में महा शिवरात्रि कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है, इसके बारे में बताने जा रहे हैं।

वैसे तो भगवान शिव की आराधना के लिए किसी भी खास दिन और मुहूर्त की जरूरत नहीं होती है, लेकिन फिर भी महा शिवरात्रि का दिन भगवान शिव की आराधना के लिए बड़ा ही विशेष माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महा शिवरात्रि के दिन श्रद्धा पूर्वक महादेव और मां पार्वती की पूजा आराधना करना बहुत ही शुभ माना जाता है। 

शिवरात्रि हर महीने की चतुर्दर्शी की तिथि को मनाई जाती है, लेकिन फरवरी या मार्च के महीने में पड़ने वाली महा शिवरात्रि का एक खास महत्व होता है। जो लोग भगवान शिव में आस्था रखते हैं, उनके लिए महा शिवरात्रि का व्रत बहुत ही खास होता है। इस दिन लोग भगवान शिव की कृपा पाने के लिए पूरे दिन भक्ति भाव से भगवान शिव जी की आराधना करते हैं। शिवरात्रि के मुख्य त्यौहार को सालभर में दो बार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, एक फाल्गुन महीने में तो, दूसरा श्रावण मास में, लेकिन फाल्गुन के महीने में आने वाले शिवरात्रि को महा शिवरात्रि कहते हैं।

ऐसे में आज हम आपको महा शिवरात्रि कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है, और इससे जुड़ी कुछ कथा और पुजाविधि के बारे में बताने जा रहे हैं। इससे पहले हमने आपके लिए अपने एक दूसरे पोस्ट में होली कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है और मकर संक्रांति कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है, इसके बारे में बताया है। अगर आप ऐसे ही और भी फेस्टिवल से सम्बन्धित जानकारियों के बारे में जानना चाहते हैं तो, आप हमारे फेस्टिवल कैटेगरी पर जाएं और हमारे अन्य पोस्ट को देखे, पढ़ें और अपने लोगों से शेयर करें।

महा शिवरात्रि कब मनाया जाता है

महा शिवरात्रि फाल्गुन महीने के कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इसी रात भगवान शंकर करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। यही कारण है कि, हर साल फाल्गुन के महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महा शिवरात्रि का त्यौहार बड़े ही धूमधाम और विधि विधान से मनाया जाता है। 

बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि महा शिवरात्रि को क्रोधरात्रि भी कहा जाता है। इस त्यौहार को भगवान शिव की दिव्य अवतरण का शुभ सूचक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि महा शिवरात्रि के दिन जो कोई भी श्रद्धा भाव से व्रत रखता है, उसपर हमेशा भगवान शिव का आशीर्वाद बना रहता है और वह काम, मोह और लोभ, इत्यादि से मुक्ति प्राप्त करता है। तो आइए जानते हैं कि महा शिवरात्रि क्यों मनाया जाता है और इससे जुड़ी कुछ कथा के बारे में।

महा शिवरात्रि क्यों मनाया जाता है

आज हम आपको अपने इस पोस्ट में बताने जा रहे हैं कि, महा शिवरात्रि कब और क्यों मनाया जाता है? महा शिवरात्रि मनाने का महत्व क्या है और महा शिवरात्रि से जुडी कौन कौन सी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, तो फिर देर किस बात कि, आइए जानते हैं उनमें से कुछ प्रचलित कथाओं के बारे में और महा शिवरात्रि मनाने के मुख्य कारण के बारे में।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महा शिवरात्रि के दिन भगवान शिव, शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे और सृष्टि का प्रारम्भ हुआ। इसी दिन पहली बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने भगवान शिव की पूजा की थी। ऐसा भी माना जाता है कि, ब्रह्मा जी ने ही महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिवजी के रुद्र रूप को प्रकट किया था। इसी के चलते महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग की विशेष पूजा अर्चना होती है।

दूसरी पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही देशभर में 12ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग और घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग हैं। इन 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रकट होने के उत्सव के रुप में भी महाशिवरात्रि मनाई जाती है।

तीसरी प्रचलित कथा के अनुसार बताया गया है कि, जब सती का पुनर्जन्म माता पार्वती के रूप में हुआ था। तब माता पार्वती, शिव जी को अपने पति के रूप में प्राप्त करना चाहती थीं, इसके लिए माता पार्वती ने पहले अपने सौंदर्य से शिव जी को रिझाने की कोशिश की, लेकिन जब वह सफल न हो पाईं तो, उसके बाद माता पार्वती ने त्रियुगी नारायण से लगभग 5 किलोमीटर दूर गौरीकुंड में कठिन ध्यान और साधना कर शिवजी का मन जीता और महा शिवरात्रि के दिन ही माता पार्वती और शिव जी का विवाह संपन्न हुआ था।

इसी कथा के चलते ऐसा माना जाता है कि, अगर कुंवारी लड़कियां महा शिवरात्रि का व्रत रखती हैं तो, उनको अपना मनचाहा पति मिलता है और ऐसा भी माना जाता है कि, महा शिवरात्रि के दिन शिव और माता पार्वती का विवाह कराने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं, दांपत्य जीवन खुशहाल होता है।

चौथी प्रचलित कथा के अनुसार, जब सागर मंथन हो रहा था उसी दौरान अमृत को लेकर देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध चल रहा था, तब सागर से अमृत से पहले कलकुट नामक विष निकला और यह विष इतना खतराक था कि, इसके एक बूंद गिरने मात्र से पूरा ब्रह्मांड नष्ट हो सकता था।

इस विष को नष्ट करने की शक्ति केवल शिव जी में थी, तब भगवान शिव ने पूरे ब्रह्मांड को बचाने के लिये कलकूट नामक विष को अपने कंठ में धारण कर लिए, जिस कारण शिव जी का कंठ नीला पड़ गया और शिव जी को नीलकंठ भी कहा जाने लगा। शिव जी ने संसार को नष्ट होने से बचाया, इसी खुशी में महा शिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है।

महा शिवरात्रि पूजा करने की विधि

अगर महा शिवरात्रि पूजन विधि की बात करें तो, सबसे पहले इस दिन सूर्योदय के समय स्नान किया जाता है और साफ वस्त्र धारण किया जाता है, फिर शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराया जाता है, साथ ही साथ “ॐ नमः शिवायः” का जाप किया जाता है, फिर शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाया जाता है। 

उसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, गाय का कच्चा दूध, कपूर, केसर, दही, घी, मौली, अक्षत  शहद, शक्कर, पांच प्रकार के मौसमी फल, गंगा जल, जनेऊ, वस्त्र, , कनेर पुष्प, फूलों की माला, खस, शमी का पत्र, लौंग, सुपारी, पान, परिमल द्रव्य, इलायची, धूप, शुद्ध जल, कलश इत्यादि चढ़ाया जाता है।

ऐसा करने से शिव जी की कृपा हमेशा बनी रहती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करते समय 108 बार ॐ नमः शिवाय का जाप करें। महा शिवरात्रि के दिन सुबह, दोपहर, शाम और रात इन चारों पहर में रुद्राष्टाध्यायी पाठ के साथ भगवान शिव की पूजा अर्चना किया जाता है। अगले दिन सुबह उठकर स्नान करके ब्राह्मणों को दान दक्षिणा दी जाता है और व्रत को खोला जाता है। 

निष्कर्ष

आए दिन हमारे भारत देश में कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है। ऐसे में सभी त्यौहारों के बारे में संपूर्ण जानकारी होना नामुमकिन है, लेकिन हम सभी के लिए कुछ खास त्यौहारों से संबंधित सभी जानकारियों के बारे में पता होना बहुत जरूरी होता है। इसलिए आज हमने अपने इस पोस्ट में महा शिवरात्रि कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है, इससे सम्बन्धित लगभग सभी जानकारियों के बारे में बताया है।

इसके अलावा हमने अपने पोस्ट में महा शिवरात्रि के कुछ पौराणिक कथाओं, महत्व और पूजा करने की विधि के बारे में भी विस्तार से बताया है। हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह पोस्ट जरूर पसंद आया होगा और महा शिवरात्रि से संबंधित सभी जानकारियां भी आपको मिल गई होंगी। अगर आप हमसे महा शिवरात्रि से सम्बन्धित कोई भी प्रश्न पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। पोस्ट को अपने मित्रों से भी साझा करें।

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